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निशान्त मिश्र

Abstract

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निशान्त मिश्र

Abstract

वो अटल है, वो अटल था

वो अटल है, वो अटल था

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पवित्र,

घने काले बादलों में

ओस की इक बूंद जैसा,

रवि का प्रतिनिधि,

रश्मिरथी,


प्रस्तरों में पुष्प था

जिसने उगाया,

काल के कपाल पे

अमिट अक्षर,


ताल ध्वनि में

शब्द - गर्जन,

किंतु संयम की

धुरी था,

वो अटल है

वो अटल था।


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