वो अतीत...
वो अतीत...
रह गया कुछ बाकी,
वो अतीत बन गया,
मुस्कुराहट के साथ,
आँखो से आसु छिन गया...
बेमतलबसी लगती है दुनिया,
अकेलापन साथी बन गया,
आवाज दी हमने कई बार उसे,
जिसका हात छुट गया ...
पता है तुम्हे क्या बताये,
ये वक्त हमसे खेल गया,
अनजान थे हम इस धोखे से,
वो हमे बरबाद कर गया ...
जो शुरू हुआँ सफर अतीत का?,
हमारा दिल सहम गया,
अब ना याद आये वो दिन,
जिसमे मै खुब जी गया ...
उजालो से मुंद जाती है आँखें,
जो किरणोसे हार गया,
अब तो ये आलम है,
अंधेरे को अपना मान गया ...