वक्त
वक्त
वक्त रुकता नहीं वक्त चलता सदा
साथी सबका है फिर भी है सबसे जुदा
वक्त का देख रुख जो जहां मे चला
वो सदा ही मगन जग मे सबका भला
रुख न इसका है समझा जो कोई अगर
खाए ठोकर सहे विघ्न दुर्गम डगर
जिदंगी मे न वो कुछ भी कर पाएगा
वक्त के साथ चलता न जो जाएगा
वक्त सुख और दुख वक्त ही सीख है
वक्त है हार भी वक्त ही जीत है
वक्त दुर्दिन मे भी सुख कुसुम दे खिला
वक्त चाहे तो बिछड़ो को दे फिर मिला
वक्त के संग चलो आगे पीछे नहींं
छूट जो वह गया आएगा फिर नहींं।