वक़्त समय
वक़्त समय
है वक्त बडा ही शहंशाह,
यह अपनी गति से चलता है ।
जो कद्र नहीं करता इसकी,
वह बैठा हाथ ही मलता है।
जो चला वक्त के साथ,
हमेशा आगे रहता है।
जो पिछड गया सो पिछड गया,
बस भागे रहता है।
है वक्त शाह, यह चोर नहीं,
ताकतवर है कमजोर नहीं।
कर्मानुसार ही फल देता,
इसकी लाठी में शोर नहीं।
यह जज़ भी ऐसा लाशानी,
करे दूध-दूध ,पानी-पानी।
मत करना इससे मनमानी,
ना कर देना,बेईमानी।
यहाँ अपना ,कौन पराया है,
सब वक्त ने ही समझाया है।
जो ग़ैर थे ,वो सब अपने हैं,
अपनों को गै़र बनाया है।
वक्त का जिसने मान किया,
सम्मान किया वो ज्ञानी है।
'उल्लास' ने लिख डाली बेशक,
ये सारी बातें पुरानी हैं।