वक्त निकल रहा है
वक्त निकल रहा है
बहुत कीमती वक्त निकल रहा है
सांसो का ये चमन निकल रहा है,
समय का तू सही उपयोग कर ले
पूनम का ये चांद निकल रहा है,
फिऱ तू रोयेगा,फिऱ तू पछतायेगा
दीपक का ये प्रकाश निकल रहा है,
हे पथिक जाग भी जा तू अब,
तेरी मंज़िल का रक्त निकल रहा है,
सही समय पर सही फैसला ले तू
गुलिस्तां का गुलबदन निकल रहा है,
लोगो की परवाह तू छोड़ भी दे
तेरी अग्नि का ये तेज निकल रहा है,
जवानी के वक्त में तू सख़्त कर्म कर
इस समय का कोहिनूर निकल रहा है,
वक्त के दरिया में तू नहाना सीख ले
तेरे जिंदगी का साहिल निकल रहा है,
उधार की है ये जिंदगी,उधारी में
तेरा महकता ये आज निकल रहा है,
बहुत क़ीमती वक़्त निकल रहा है।
