वक्त - एक एहसास
वक्त - एक एहसास
जो गुज़रगया
गुज़रता जा रहा है
और भी गुज़र जाएगा
वह है वक्त - एक एहसास ।
वक्त पर किसीका ज़ोर नहीं
वक्त मचाता शोर नहीं
वक्त ख़ामोश रहता है
चुपके से पास आता है
हर किसीको छूकर चला जाता है
हर किसीको देखकर मुस्कुराता है
पर उसे कोई न देख पाता
न हि कोई उसे छू सकता ।
वक्त बस बहता जाता है
ज़िदगी की इस ओर से
उस ओर तक
सबको यह बता जाता है
की वह आया था
और चला भी गया
फिर कभी न वापस आयेगा ।
वक्त बहता जाता है
और छोड़ जाता है जो यादें
सबके लिए कुछ खट्टी कुछ मीठी
रहजाती हैं ज़िंदगी भर
साथ निभाने के लिए ।
