विवशता
विवशता
गाँव फ़ोन नहीं कर सकता,
फिर भी कभी-कभार बात करता है।
हम दोनों घंटों, मुंदी आँखों से एक दूसरे को देखते रहते ।
वह सहसा ही मौन तोड़ता,
और पूछता कब आओगे?
मैं कोई उत्तर नहीं दे पाता, ना ही उसकी काॅल काट पाता ।
