विवाद उचित नहीं
विवाद उचित नहीं
बुद्धि,विवेक सुदृढ़ हो,इंसान बने महान,
ज्ञान,विज्ञान के बल पर,बनती जन शान,
जीवन सुख दुख का सागर कहलाता है,
कभी दुखों का आ जाता है चल तूफान।
विवाद कभी न करना, खा जाये विवेक,
सुनकर वाद विवाद को,बाते चले अनेक,
समय परिस्थिति देखकर,करना फिर बात,
सुख जीवन में मिले,ले खुशियों की बारात।
विवादों के प्रकार में , खोया रहता इंसान,
विवाद उचित नहीं, कह चुके संत जहान,
विवाद कभी छिड़ता, हो दीवारों के कान,
विवादों में जो पड़ा, घटती जाए जन शान।
शास्त्रों में एक बात स्पष्ट,विवाद कहे बुरा,
विवाद जनों में छिड़ता, रहता वो डरा डरा,
सौ दे दे जिंदगी में, पर नहीं करना है बुरा,
बुराई,पाप,नीचता, कहलाते हैं जगत सुरा।
स्वस्थ विवाद चलता, आये परिणाम भला,
जब विवाद अस्वस्थ हो, काट देता है गला,
विवादों की आग ने, कितने लोगों को जला,
शांत भाव सदा बोलकर,विवाद से जन टला।
विवाद चले गर जमीन पर,फूट जाते हैं सिर,
विवादों के ही चलते, आपत्तियों से जा घिर,
कड़वे बोल आपस चले, बनाते जन अस्थिर,
चले गये इस जहां से, वो आएंगे नही फिर।
विवादास्पद जहां की बातें, करवाती हँसाई,
इज्जत अगर चली गई, देते रहना है सफाई,
विवादों में लुटे धन दौलत, देते रहना दुहाई,
शांत भाव की मूर्त तो,मन मंदिर में है बसाई।
भाई-भाई विवाद हो, कलियुग का आभास,
माता पिता विवाद तो, आते कभी नहीं रास,
बुद्धि, ज्ञान प्रभु दिया,रखना इसको ही पास,
कभी नहीं इस संसार में बनना विवाद दास।
नीच,अधर्मी,कुकर्मी से,बुरा बताया विवाद,
विवादों में जो जी रहा, कहलाता है जल्लाद,
स्वस्थ चिंतन,मनन में, चल जायेगा विवाद,
विवादों में बुरा हो जाये, आएं ये दिन याद।
न्यायालयों में जज समक्ष, चलते हैं विवाद,
सच झूठ का पता चले, प्रसन्नता बजते नाद,
विवादों में जो जीतता, करते हैं जन इमदाद,
विवाद सदा बताये, कलुषित, कोढ़ व खाज।
विवाद उचित नहीं हो, कहते कितने लोग,
बचकर रहना विवादों से, वरना बढ़ेंगे रोग,
विवादों से जो दूर रहे,कहलाए जन संजोग,
विवाद रहित जीवन में,जिंदगी को ले भोग।