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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

विष्णुपदी छंद....

विष्णुपदी छंद....

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16/10,कुल 26 मात्रा,पदांत 2


कल-कल करती बहती जाती,नदिया की धारा।

तारण करती जन-मन को यह,देती सुख सारा ।।

कल-कल करती बहती जाती.....


सत्य पथी यह निर्झर बहती,सुर नाद सदा हो।

रज-रज पाहन चल संग लिए,सम प्रियंवदा हो ।।

सुहद सुता सी समरस गाथा,हो आनंदी की ।

पय कण का अपमान करे तब,हो निंद्य बदी की ।

कष्ट सभी जल रज ही हरती,ज्यों औषध पारा...

कल-कल करती बहती जाती.....


किससे कह दूॅं भाव रुदन को,सबके मन‌ कटुता ।

कौन बड़ा अरु कैसा छोटा,हिय में जब लघुता ।।

साथ सभी तुम हिलमिल चलिए,नभ में बन तारा ।

ऑंसू में भी दर्द छुपे हैं जी,मीठा या खारा ।।

गंगा मृत तन को भी धरती,है आज हमारा...

कल-कल करती बहती जाती..।


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