विश्वास
विश्वास
मुझे कब साथी की तलाश है
मुझे कहाँ किसी से आस है
अकेले ही भिड़ लूँ दुनिया से
मुझे बस खुद पर विश्वास है।
डर जाऊँ कभी अंधेरों से
पग पग में भरे थपेड़ों से
मैं हूँ वो इंसान नहीं जो
हार जाऊँ यार झमेलों से
बिछा दो जो काँटे राहों में
मुझे छोड़ गमों की बाहों में
मैं पार करूँ सारी मुश्किल
आ जाऊँ सुख की पनाहों में।