विश्व विजय ,तेरा अभिन्नदन, मस्तक चंदन
विश्व विजय ,तेरा अभिन्नदन, मस्तक चंदन
हाथों में बंधी
दासता की जंजीरें
जीवों की मृत्यु
मनुजता पे धब्बा
पैरों में पड़ी
कलंक की बेड़ियाँ
दुःखद चित्र
जीवन का यह है
संघर्ष धुन
जीवन का विकास
चल उठ जा
विरोध की ज्वाला ले
तोड़ आज तू
सारे जग बंधन
आजादी धुन
मंगलमय वादन
विश्व विजय
तेरा अभिन्नदन
मस्तक पे चंदन।
