एकता और समानता ही है विकास की नीव
एकता और समानता ही है विकास की नीव
एकता और समानता ही है विकास की नींव
नर-नारी की सम्मिलित शक्ति ही कारक है उत्थान की
राष्ट्र -एकता ही होती है सभ्य समाज की शान
स्त्री- पुरुष की समानता द्योतक है राष्ट्र के सम्मान की
कंधे से कंधा मिलने से ही होता है नव निर्माण
एकता मूल आधार होती विश्व के कल्याण की
खुशियों का सागर आता है तब लहरा कर
नींव बने ये ही प्रति पल नूतन परिवर्तन की
