विश्व पुस्तक दिवस-किताबें !
विश्व पुस्तक दिवस-किताबें !
एक नयी सोच के अध्याय का हुआ था आरम्भ,
बदलाव की राह पे एक नये बेड़े का हुआ था प्रारम्भ।
जन्म जमांतर के कड़ी में जो गए थे भूल,
स्वइच्छा से इसके आगमन को किया उन्होंने कबूल।
किताबों ने दिया इस समाज को एक नयी दिशा,
स्वछंद विचारो की लिखी गयी एक नयी परिभाषा।
इनके पन्नो पे लिखे गये अनूठे नग्मे और दर्द,
किसी भी भाषा के लिये न खींची इसने कभी सरहद।
पुरानी और नयी संस्कृति का हुआ समावेश,
इनके रचनाओं में घूम लिया देश और विदेश।
लेखक के भावना को नहीं किया कभी अपमान,
स्याही के हर बूँद को दिया इसने सम्मान।
कितनो ने की इससे दोस्ती और कितनो ने किया अपना,
न जाने इसके ज्ञान ने सवारे कितनो का सपना।
दोस्तों, किताबों की दुनिया में सभी का होता है स्वागत,
न समझो कोरा कागज़ इसको, ये तो है शब्दकोश की अमानत।