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Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

Inspirational

विनती

विनती

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मैं भिक्षुक नादान प्रभु जी कैसे गाऊं यश गान।

नैन टुकर -टुकर पत्थर बन गए, चरनन शीश नवाऊँ,


तेरी माया तू ही जाने, नित भ्रम में पड़ जाऊं,

तू ही जग में नाच नचाता, मैं भिक्षुक नादान।


चल- चल पग में छाले पड़ गए, मैं बालक अनजान

मन ही मन में तुम्हें पुकारता ,कैसे पीड़ा बताऊं।


हृदय मलिन, नैन गर्वीले, कैसे शक्ल दिखाऊँ,

एक झलक पाने की मांगू," नीरज" भिक्षुक नादान।


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