वीरों की धरती, जवानों का देश
वीरों की धरती, जवानों का देश
ये वीरों की धरती,
जवानों का देश,
ये फसलों की माला,
किसानों का देश।
कहीं राह पर लोग,
चलकर हैं गिरते,
ये दर्दे-दिलों के,
दीवानों का देश।
कहीं भूख से लोग,
जर-जर के मरते,
कहीं रोटियाँ,
उनकी प्लेटों पे रहते।
ये कच्चे, ये पक्के,
मकानों का देश,
ये वीरों की धरती,
जवानों का देश।
ये यश की है धरती,
है बढ़ती, सँवरती,
कहीं मात गंगा जी,
जमुना जी बहती।
ये तकनीक-कौशल,
विद्वानों का देश,
ये वीरों की धरती,
जवानों का देश।
ये पूजा, ये बाणी,
अजानो पे चर्चे,
चलो साथ मिल के,
क्यों लड़ते-झगड़ते।
ये सिखों, ये हिन्दू,
मुसलमानों का देश,
ये वीरों की धरती,
जवानों का देश।
