वीर सपूत
वीर सपूत
अँग्रेजों ने किया थाभारतीयों की नाक में दम
कदम बढ़ते जा रहे थे
हिन्दुस्तान की सरज़मीं पर तब
मैसूर में एक चिंगारी ने जन्म लिया ।
बहादुरी और साहस का अवतार था
पिता सदृश कूटनीतिज्ञ , महात्वाकांक्षी
अँग्रेजो का कट्टर दुश्मन था वो
हर क़ीमत पर देश की रक्षा
एकमात्र उसका ध्येय था ।
कथन यह समुचित है
हिन्दुस्तान का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी ,
मैसूर का सुल्तान था
युद्ध की हर विधा में पारंगत
बंदूक़ो का जानकार ,मैसूर का शेर था वो।
सेना का कुशल सेनापति
आधुनिक तकनीक का ज्ञाता
नाम सुन थरथराते अँग्रेज
हराने उसको चाल चलते नित्य नई
किया निज़ाम ,मराठों को उसके ख़िलाफ़ ।
फूट डालो और राज करो की
रणनीति पर काम किया
हार नहीं मानी उसने ,
फांर्सिसयो का साथ लिया
जब अपने ही हो ख़िलाफ़
धीरे-धीरे हारता गया ।
सब कुछ गवाँ कर भी
युद्ध वो करता रहा
जज़्बा उसका सबकी
हौसला अफजाई करता रहा
अंततः अँग्रेजो की धूर्तता से
वीरगति को प्राप्त हुआ ।
सलाम हिन्दुस्तान के वीर सेनानी
वीरता की निशानी वह तलवार ,बंदूक़
आज भी अँग्रेजो के पास संरक्षित है
याद दिलाती उन्हें
हिन्दुस्तान की माटी निडर वीर सपूतों के
बलिदान से सिंचित है॥