वीर शिवाजी
वीर शिवाजी
शिवनेरी दुर्ग तब धन्य हुआ ,
जब जन्मे शिवाजी राजे थे।
शाहजी-जीजाबाई के रत्न हुए,
झूमे-नाचे -गाए सभी मराठा थे।
कोना-कोना गुंजित गढ़ हुआ,
हर-हर महादेव के जयकारे से।
मराठा गलियारे तो चमक उठे थे,
प्रदीप्त मशाल वर्तिका ज्वाल से।
राज्याभिषेक से कृतार्थ हुआ,
रायगढ़ किला महिमान्वित था।
औरंगजेब भी नतमस्तक हुआ,
छत्रपति शिवाजी के पराक्रम से।
छत्रपति शिवाजी की तलवारें,
चमकी थी सिंहगढ, कल्याण में।
दांत खट्टे किए थे सभी दुश्मनों के,
सूरत,पूना, प्रतापगढ़ के मैदानों में।