विघ्न लौट जाएंगे
विघ्न लौट जाएंगे
खेल खेलेगी हर परिस्थिति, इनसे ना घबराओ
दृढ़ निश्चय के बल से, इन सबको तुम भगाओ
पसन्द नहीं जो घटना, वो परिस्थिति कहलाती
पीड़ा और निराशा का, हमको अनुभव कराती
दुर्गम लगते विघ्न सभी, जब उनके अधीन होते
दुर्बलता के वश दिन रात, उनके ही दुख में रोते
विघ्न को समझो तुम, उड़ता हुआ कोई बादल
आज यदि आया भी हैं, फिर छंट जाएगा कल
सदा के लिए जीवन में, कभी ठहर नहीं पाएंगे
तुम्हारी दृढ़ता के सामने, हर विघ्न लौट जाएंगे!