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Ritu asooja

Abstract

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Ritu asooja

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*विचारों का प्रवाह *

*विचारों का प्रवाह *

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यह तो निसंदेह सत्य है

मेरा प्रेरणापुंज मेरा परमात्मा है

करते हम हैं और करवाता वो है

लिख रहा हूं शायद

लिखने की लत लग गई है

लिखने को खुला आसमान है


विचारों के प्रवाह का समुंदर है

समुंदर में गहरे उतरता हूं

कुछ मोती चुनता हूं

और विचारों के रूप में

सुज्जित करके बिखेर देता हूं

साहित्य के कुछ पन्नों पर


लिखता हूं और लिखता रहूं

अब तो यही मेरी मंजिल और

यही मेरी राहें

सुन्दर सभ्य समाज की कल्पना लिए

शुभ विचारों का संग्रह करते रहता हूं


कभी कविता,कभी कहानी, कभी कोई

लेख लिखकर प्रस्तुत करते रहता हूं

भावनाओं को और शुभ विचारों को

प्रधानता देता हूं

परमात्मा की प्रेरणा से विचारों का दरिया

प्रवाहित होते रहता है।


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