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niranjan niranjan

Abstract Children

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niranjan niranjan

Abstract Children

वह मेरे जज्बातों से खेल गई

वह मेरे जज्बातों से खेल गई

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हर पल दिल में बसाया, 

हर पल यादोंं में उसे पाला।

कर दियाा हमने प्यार का इजहार उसे, 

उसने ही हमें बेवकूफ कह दिया। 


हर बात मान लेता थाा मैं उसकीअनजान बनकर।

सहलाये थे उसके बाल उसका आशिक बनकर । 

दिए थे जो फूल संजोए थे दिल में गुलदस्ता बनाकर। 

एक दिन तोड़कर रिश्ता चल दी गैर बनकर।


आंखों में आंसू थे मेरे, 

वह मेरे जज्बातों से खेल गई। 

किया था वादा सात जन्मों तक का, 

वह एक पल में ही तोड़ गई। 


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