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शालिनी मोहन

Abstract

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शालिनी मोहन

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वेश्या

वेश्या

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वेश्या शब्द का विलोम क्या होगा

वेश्या शब्द को लोगों ने 

बहुत नंगा किया है, घोर घृणा दी है 

इसके उच्चारण मात्र से लोगों ने 

अपनी जिह्वा काटी है हर बार।


इस शब्द ने इतनी घृणा झेली है 

कि लज्जित हुआ,

शर्मिंदा हुआ खुद से बार-बार

कहाँँ जाये, क्या करे।


हमारे दिमाग़ में इसने

सिर्फ़ एक देह और

दृश्य पैदा किये हैं 

बची हुई देह, दृश्य और

परिस्थित

ियों के बारे में 

ना तो हम सोचते ना समझते हैं।


सोचने और समझने से

पूरी तरह इन्क़ार कर देते हैं

एक ऐसा दिन रहा होगा 

जिसकी हम कल्पना भी

नहीं कर सकते।


जब जीवन काटने के लिए

बेचने को उस स्त्री के पास

कुछ भी नहीं बचा होगा

अंत में उसने अपना शरीर बेच दिया 

सत्य, असत्य, सही, ग़लत को

पोटली में बाँध

बन गई वह वेश्या।


वेश्या सिर्फ़ एक देह नहीं 

उसके पास एक आत्मा भी है।


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