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umesh kulkarni

Abstract

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umesh kulkarni

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वचन आज मैं देता हूँ

वचन आज मैं देता हूँ

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स्वर्ग की राह के दीपों को

धन्यवाद अपना देता हूँ

शहीद बलिदानी पुत्रों को

शीश मेरा झुकाता हूँ।


निराश न होंगे आप कभी

वचन आज मैं देता हूँ

देश हित ही आत्म हित है

मान के आगे बढ़ता हूँ।


सभी लोग है भाई भाई

आत्मसार कर लेता हूँ

घात न करे कोई मेरा

चौकन्ना फिर भी रहता हूँ।


नए ज़माने के नयी चाल में

खुद की ताल मिलाता हूँ

संस्कृति गीता राम को अपने

दिल के करीब रख लेता हूँ।


निराश न होंगे आप कभी

वचन आज मैं देता हूँ।


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