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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Inspirational

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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Inspirational

वात्सल्य

वात्सल्य

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माँ मुझे गले से लगा ले                      

चरणों मे जगह दे                         

आँचल सुला दे                            

और मुझे क्या चाहिये।।


माँ दूध तेरा अमृत 

आशीष मेरी ढाल                      

प्यार तेरा जहां

और मुझे क्या चाहिये।।


माँ मैँ तेरी सेवा करूँ

मूरत भगवान की तुझमे

देखा करूँ मुझे

और क्या चाहिये।।


लम्हा लम्हा 

तेरे ही अरमानो को जिया करूँ

तेरे ही लम्हो की जिंदगी

पला बढ़ा कोई गिला ना शिकवा

करूँ और मुझे क्या

चाहिये।।


नौ माह तेरी कोख ने पला

हर दुःख पीड़ा का तूने पिया विष हाला

माँ मैँ कर्ज़ तेरा कैसे मैँ उतार दू

तेरे कर्ज फ़र्ज़ को दूँनिया मैँ तुझपे ही

वार दूं और मुझे क्या चाहिये।।


माँ में तेरा सूरज चाँद 

तू ही कहती है ,हूँ बापू का नाज

मरे लिये तू ही धरती आसमान

जन्नत जहाँ और मुझे क्या चाहिये।।


माँ तू मेरी शरारत को सहती कुछ नही कहती सही।

मैं किसी भी हद से गुजर जाऊं तू सहती।

माँ मेरी हस्ती तू मेरी मस्ती तू मेरे जज्बे

की ज्योति तू और मुझे क्या चाहिए।।


माँ तू शक्ति है, मेरी भक्ति है

मेरे सामर्थ की ज्वाला दूँनिया में

मेरे जिंदगी की डोर रिश्तों की धुरी है ।।          


माँ मेरा तू आसरा 

माँ मैँ तेरा ही आश विश्वास मुस्कान

और मुझे क्या चाहिये।।


माँ जब भी जनम मैँ लू तेरा ही बेटी या

बेटा हूँ तेरी ममता के आंचल में भाग्य

भगवान भी इतराता और क्या चाहिये।।



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