"सोचो कभी तो"
"सोचो कभी तो"
देशसेवा है नहीं काम केवल फौजियों का
खाया है हमने भी अन्न इसी धरती का
पार सीमा के अगर न लड़ पाए शत्रु से
उखाड़ तो सकते हैं पाँव अन्दर के अरि के
देश की खातिर नहीं बहाया खून तुमने
देश हित का ध्यान रख करो साकार सपने
देश रक्षा की खातिर न भेजा औलाद को
कुछ तो अर्पण करवा दो उनसे देश को
देश को दिया वास्ता अपने अधिकारों का
सोचो कभी क्या किया तुमने कर्त्तव्यों का
पूरा करो कर्त्तव्य डाल के पहले हव्य
तभी तो एक दिन होगा हमारा देश भव्य।