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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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ऊँ नमः शिवाय

ऊँ नमः शिवाय

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हे भोलेनाथ हे शिव शंकर,

हे औघड़दानी हे त्रिपुरारी

महिमा तेरी अजब निराली

होते सब तुम पर बलिहारी।

कृपा तुम्हारी बरसे उस पर

जो भी शरण में आता है,

भांग धतूरा बेलपत्र संग

पूजा तुम्हारी करता है।

श्रद्धा से जल भी तुमको

जो नित अर्पित कर देता है,

कृपा तुम्हारी पाकर उसका

जीवन धन्य हो जाता है।

हे नागेश्वर, हे लोधेश्वर

हे बद्रीनाथ, हे केदारनाथ

अनगिनत नाम तुम्हारे प्रभु जी

बम बम बम हे विश्वनाथ।

माँ गंगा को धरा पर लाकर

जग को तुमने तारा है,

पापियों के भी पाप धुल सके

माँ गंगा को जमीं पर उतारा है।

भोले तुम सचमुच भोले हो

भक्तों के तुम रक्षक हो,

पापी तुमसे दूर भागते

उनके तुम संहारक हो।

अजब गजब तुम्हारी लीला प्रभु

नहीं समझ में कुछ आता है,

पर अपने भक्तों से प्रभु जी

बहुत ही गहरा तुम्हारा नाता है।

कल्याण करो प्रभु जन मन का

पाप धरा से मिट ही जाये,

सारे पापी आ शरण तुम्हारे

बस ऊँ नम: शिवाय गायें।

इतनी विनती हमारी प्रभु जी

एक बार स्वीकार करो,

सारी दुनिया के हर प्राणी का

हे नीलकंठ तुम दुःख हरो।

मैं भक्त नहीं हूँ तो क्या

तुम तो मेरे स्वामी हो,

पूजा पाठ न जानूँ प्रभु जी

तुम तो अंतर्यामी हो।

ऊँ नम: शिवाय!

ऊँ नमः शिवाय!!

ऊँ नमः शिवाय!!! 



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