S.Dayal Singh
Abstract
दो जून की रोट...
आओ!चलें अब गा...
जीवन चक्र
प्रजातंत्र
बात कर
कसूर बनाम दस्...
पिता
अमर शहीद सरदा...
मैं कुछ कहूं-...
पत्थर और शिल्...
कभी हार तो कभी जीत से, ये रास्ते ज़िन्दगी के इस सफ़र में, कभी हार तो कभी जीत से, ये रास्ते ज़िन्दगी के इस सफ़र में,
मन के अंतरंग कोनों से छन छन कर आती भावनाएं रचती हैं कविताएं। मन के अंतरंग कोनों से छन छन कर आती भावनाएं रचती हैं कविताएं।
इसकी गोद में सिर रखकर अब हम इतने बड़े हुए, यह जननी माता प्यारी, हम सबकी पालन हारी, इसकी गोद में सिर रखकर अब हम इतने बड़े हुए, यह जननी माता प्यारी, हम सबकी पालन...
जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया । जीवन बदल दिया । शब्द नाद ने ब्रह्मांड को गुंजित कर दिया ।
प्रभु मूरत देख कर देवता अयोध्या में रहे, ये करें विचार। प्रभु मूरत देख कर देवता अयोध्या में रहे, ये करें विचार।
एक हल्की सी हँसी को हमारी, कत्ल ~ए ~आम का नाम दिया।। एक हल्की सी हँसी को हमारी, कत्ल ~ए ~आम का नाम दिया।।
भरा होता है कुछ विचित्र आकर्षण। भरा होता है कुछ विचित्र आकर्षण।
वो बचपन के दिन सपनों जैसे झिलमिल। वो बचपन के दिन सपनों जैसे झिलमिल।
यह तो एक सुखद उपवन है, कलयुग के कहरों में। यह तो एक सुखद उपवन है, कलयुग के कहरों में।
कारण क्या था पता नहीं, थी मेरी कोई खता नहीं। कारण क्या था पता नहीं, थी मेरी कोई खता नहीं।
बस खाना - डरना और जनना, इतने में ही, इंसान क्यों पड़ा है? बस खाना - डरना और जनना, इतने में ही, इंसान क्यों पड़ा है?
प्यार की ये शमा जल रही है इधर भी उधर भी, दोनों तरफ ही मिलने की चाहत एक सी लगी हुई है, प्यार की ये शमा जल रही है इधर भी उधर भी, दोनों तरफ ही मिलने की चाहत एक सी लगी...
बच्चे कब समझ पाते अपने माँ बाप की भावना ,उनकी परेशानी और जब तक समझते हैं जब खुद उसी जगह खड़े होते है... बच्चे कब समझ पाते अपने माँ बाप की भावना ,उनकी परेशानी और जब तक समझते हैं जब खुद...
रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी पीठ थपथपाया रावण को देखा, फिर शीश झुकाया उसने बड़े प्यार से मुझे उठाया गले लगाया, मेरी ...
सपनों में जगह नहीं होती है निराशा की, खुशियों की चाहत हमें भर जाती है। सपनों में जगह नहीं होती है निराशा की, खुशियों की चाहत हमें भर जाती है।
क्रोध मेरे आकाश को आया और लगा वो तुम्हें दिखाने बहुत जतन से मना रही हूँ कह कर कि तुम बदल जाओगे... क्रोध मेरे आकाश को आया और लगा वो तुम्हें दिखाने बहुत जतन से मना रही हूँ कह कर क...
वक्त का क्या मौका ये आए न आए, कि ढह चला है किला दरार के साथ। वक्त का क्या मौका ये आए न आए, कि ढह चला है किला दरार के साथ।
मत बाँधिए नियमों की जंज़ीरों से, आज़ाद जीना चाहती हूँ मैं; मत खींचिए कोई लक्ष्मण रेखा, बेखौ... मत बाँधिए नियमों की जंज़ीरों से, आज़ाद जीना चाहती हूँ मैं; मत खींचिए कोई ल...
एक पाथेय सबके जीवन के बाद होता ही है। एक पाथेय सबके जीवन के बाद होता ही है।
सुबह का तो हाल ही मत पूछो, उसे चेहरा तुम्हारा नहीं भूलता, सोया सा मासूम सा,आखें मलते देखती थी तुम सुबह का तो हाल ही मत पूछो, उसे चेहरा तुम्हारा नहीं भूलता, सोया सा मासूम सा,आखें ...