Surendra kumar singh

Romance

5.0  

Surendra kumar singh

Romance

उसने खोज लिया है

उसने खोज लिया है

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उसने खोज लिया है अपना घर

जिसे बनाकर दूर चला गया था

घर था उसका, लोग कहते भी थे कि

वो है उसका घर, उसमें रहता है वो

पर वो चला गया था अपने घर से दूर

बहुत दूर, बहुत पहले।


जैसे कि हम भटक रहे हैं

अपने घर में रहते हुये

बियाबान जंगल में

हिंसक जानवरों के बीच

उदास, बेचैन, ब्याकुल

अपना घर ढूंढते हुये

घर जैसा घर कहाँ रहा हमारा।


लेकिन उसने अपना घर ढूंढ लिया

उसे भी लगने लगा था कि

दुनिया हमारा घर अब नहीं रही

वैसे भी घर जैसा एहसास कहाँ है।


इतनी बड़ी दुनिया में और

उसे याद आयी अपने घर की

जिसे उसने बनाया था

और दूर चला गया था

और हम उसे उसके घर में ढूंढ रहे थे।


अब जब उसे अपने घर की याद आयी

ढूंढ लिया उसने अपना घर

लौटना भर है उसे अपने घर

और सारे रास्ते बंद हैं

उसके लिये कोई मतलब नहीं है कि

सारे रास्ते बंद है।


एक झटके में वो तोड़ सकता है

सारी की सारी बंदिशें।

पर बंदिशों की दुनियादारी की मर्यादा

का उसे भरपूर खयाल है

और इसी उधेड़बुन में उसने

एक नया रास्ता बना लिया है।


और अपने घर वापस आ रहा है

और हम उसे उसके घर में ढूंढ रहे हैं

शायद उसने अपना घर छोड़ा था

हमारी तलाश में।


याद तो हमे भी अपने घर की आ रही है

और हम लौट भी रहे हैं अपने घर

ठीक ठीक उसी की तरह

कभी नजरें मिल जाती हैं

और नजरो से इतनी बात तो हो जाती है

घर पर मिलते हैं।


हां खबरें खूब अच्छी अच्छी आ रही हैं

परमाणु हथियार नष्ट किये जायेंगे

प्लास्टिक के उपयोग से मुक्त होगी दुनिया।


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