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Mohammad Javed Quraishi

Romance

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Mohammad Javed Quraishi

Romance

महक उठती है मेरी हर सुबह ...

महक उठती है मेरी हर सुबह ...

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अब और कोई मकाम नही इस मकाम के बाद,

दिल धड़कता है अब सिर्फ तेरे नाम के बाद...


तेरा साथ ही मेरे लिए शरीक-ए-मंजिल है,

कुछ नही चाहिए मुझे इस इनाम के बाद...


साथ रह कर पतझड़ में बहार का इंतजार किया,

ये उम्मीद थी, सुबह आती है हर शाम के बाद...


कुछ भी तो नही बदला देखो आज भी सब वही है,

महक उठती है मेरी हर सुबह तेरे सलाम के बाद...


एक बेरंग सी तस्वीर में तुमनें हर रंग भर दिए,

जी उठी जिंदगी, मोहब्बत के उस पहले पयाम के बाद...


तेरा ही जिक्र है, तेरी ही फिक्र है मुझे ए हमदम,

तुझे ही सोचता हूँ इस कलाम से पहले इस कलाम के बाद...



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