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Geeta Upadhyay

Inspirational

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Geeta Upadhyay

Inspirational

उसकी हालत सुधर रही है

उसकी हालत सुधर रही है

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"उसकी हालत सुधर रही है

"सूखी आँखों से निकली

आँसू की आधी सी बूंद

 सहमी सी खड़ी है वो

दीवार के सहारे आँखें मूंद

 चंद आवाजें उठती हैं

दबा दी जाती हैं

 

गौहत्या से छिड़ी बहस

गौमांस तक जाती है

 तब तो बड़े-बड़े

साहित्यकारों की बन आती है

 क्या उचित है ?

क्या अनुचित ? ये तो सर्फ है ज़ुबानों में

चाहे कितने कानून बना लो ये फिर भी

मारी जा रही है बुचड़खानो में


 रोशनी नजर नहीं आती अंधियारो में

 गर्म रोटी की तरह सिकती हैं

ये सत्ता के गलियारों में

 गोदान के नाम पर भरी जाती हैं गुल्लकें

 क्या हाल हो गये मेरे मुल्क़ के

 एक मुद्दा बना कर रख दिया है


 किस कदर अपने लहु को पानी किया है

 वैज्ञानिकों के लॉजिक भी जहाँ फेल हैं

 गौमाता 33कोटी देवताओं का मेल है

 जिसका मल-मूत्र भी पवित्र होता है


 आज कतरा-कतरा उसके ज़िस्म का रोता है

 दूध, दही, घी तमाम मिठाईयाँ हम सबने खाई हैं

 फिर भी बिल्कुल दया नहीं आई है

 जिस दर्द और पीड़ा से वो गुजर रही है

 कौन कहता है ? उसकी हालत सुधर रही है।


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