उसका प्यार
उसका प्यार
उम्र के इस पडाव पर
ज़िन्दगी के ठहराव पर
वो आज भी मुझसे मिलती है
तब प्यार वाली खिड़की खुलती है
अपने पापोलते हुए चेहरे से
झुर्रिर्यो से भरे चेहरे से
अपनी बातें बोल जाती है
मिश्री सी कानो में घोल जाती है
मैं भी उसको अपने चश्मे से
देखा करता हूँ
उसकी बातों में खोया रहता हूँ
न जाने वो कौन सी बात है उसमें
दिन रात उसी को सोचा करता हूँ
बस एक बार मुझे वो मिल जाए
मौत को भी सुकूँ से पा जाता हूं।