उस आईने में
उस आईने में


आज जब उस आईने में मैं अपने आप को देख रही थी
ऐसा लगा जैसे मैं नहीं कोई और खड़ा है
बचपन से अब तक कितने लंबे समय को काट लिया
मगर आईने में अक्स अभी भी बचपन वाला ही नजर आता है
ऐसा क्यों है पता नहीं मन यह
मानने को तैयार ही नहीं कि हम भी बुड्ढे हो गए हैं
हम भी अब चांदी के तार वाले बालों वाले हो गए हैं
मन वही उसी छवि को ढूंढता है
जो कभी हमारी बचपन और जवानी में हुआ करती थी
और हमारे मन की बात कह देता है
सब उस आईने के अंदर ही छिपा है
यह कैसा राज है ,जो खुद से खुद को मिला द
ेता है
अपनी उम्र से 50 साल पीछे धकेल देता है
जब मन उस आईने को हमेशा देखने का करता था
सज संवर कर खुद पर मोहित होने का करता था
आज भी एक बार तो वही छवि दिखती है
मगर थोड़ी देर में आईना हमारी असलियत बता देता है
कि अब तुम उमर लायक हो गए हो
अब इतना सजना संवरना ठीक नहीं
अब तो सादा जीवन और उच्च विचार है
अपने जीवन को प्रभावशाली और गौरवशाली बनाना है
ऐसा ही अक्स उस आईने में अपना नजर आता है
उस आईने में सब कुछ साफ दिख जाता है
आईना दिल की बात बता देता है ।