उन्मुक्त हूँ मैं
उन्मुक्त हूँ मैं


उन्मुक्त हूँ मैं! उन्मुक्त मेरा जीवन!
जैसे पर्वत से उतरता शीतल सलिल कोई
जल में होती जैसे ध्वनि कई
बहता हूँ मैं उन्मुक्त! जैसे बहता सलिल कोई
बाधाएं आती पथ में शिलाखंड सी बड़ी
चीरता इन्हें आ रहा हूँ कालचक्र की गति दर गति
साथ बहती मेरे संस्कृति की धाराएँ,
इन्हें बचा रहा हूँ सदी दर सदी
गंतव्य की हूँ खोज में, जहाँ बनूं सागर कोई
बहता हूँ मैं उन्मुक्त! जैसे बहता सलिल कोई.......