उम्मीदों की घुड़दौड़
उम्मीदों की घुड़दौड़
फंस गया बचपन उम्मीदों के किस जाल में,
जीतनी होगी जंग उनको ये हर हाल में,
कीमत क्या चुका रहे हैं ये हमको नहीं पता,
नादानी है हमारी या उनकी है खता।
बीत रहा है मासूम बचपन ये किस हाल में,
धंस गये हम और वो ये किस अंधजाल में,
कहां गई वो शरारतें, कहां गई अठखेलियां,
उम्मीदों में दब गई नानी दादी की पहेलियां।
जिस उम्र में खेलते थे हम तलैया ताल में,
उस उम्र में बिल गेट्स ढूंढते हैं नौनिहाल में,
उम्मीदों को बना रखा है पहाड़ों से ऊंचा,
क्या है बच्चों के मन में क्या हमने पूछा?
भागीदार बन गए हैं जिंदगी की घुड़दौड़ में,
तोलते हैं खुद बन के दर्शक हर मोड़ में,
बना रहे मशीन या इंसान ये हमको नहीं पता
ये नादानी भी हमारी और हमारी ही खता।
