उम्मीद
उम्मीद
ऐ मुसाफिर
है यह खेल जिंदगी का
मायूस ना हो तुम
मत कर इतना भरोसा
किसी पर की वोह टूट जाए
पर गम दे
मत कर किसी से इतना प्यार की
उसके दूर जाने पर दिल टूट जाए
स खुद से प्यार कर
बड़ता चला जा
मत रुख
लोग आते है जाते है
कुछ साथ चलते है
और साथ देते है कितनी भी मुसीबत आए
और कुछ मुसीबत गब्रा साथ छोड़ देते है
ऐ मुसाफिर
मायूस ना हो
कल सायद
नए दिन की नयी सुबह
कुछ उम्मीद जगाए
सायद सोई हुई किस्मत चमक जाए
सायद सारी रूकावट दुर हो जाए
बस देख एक सपना की
कामयाबी दुर नहीं है
कभी न कभी मिल जाएगी
कर मज़बूर अपनी किस्मत को
की वोह एक न एक दिन बदल जाए
और तरक्की तेरे कदम छूए
और मुसाफिर मायूस ना हो
बस चलता चला जा
और उम्मीद ना छोड़।