Anchal Singh
Romance
जितना तुम्हे समझने की कोशिश करती हूँ
उतना ही उलझती जाती हूँ
और अंत में थक हार कर फिर से
वही सवाल कि ''क्या हो तुम?"
मंच की दुनिया
निशां
उलझन
दूरियाँ कम न हो सकी फिर भी हर इक पल, क़रीब होने का सुबूत दे रहा था... दूरियाँ कम न हो सकी फिर भी हर इक पल, क़रीब होने का सुबूत दे रहा था...
जैसे कि धमाके की आवाज, जो हुई है अभी मेरे पड़ौस में। जैसे कि धमाके की आवाज, जो हुई है अभी मेरे पड़ौस में।
इश्क़, वफ़ाएं, मोहब्बत ये पास नहीं उसके ऐसे थे प्यासे वो दरिया उन्हें दिखाया है। इश्क़, वफ़ाएं, मोहब्बत ये पास नहीं उसके ऐसे थे प्यासे वो दरिया उन्हें दिखाया है...
किस्मत की ही तो बात है तुम सा हमसफ़र जो हमने पाया किस्मत की ही तो बात है तुम सा हमसफ़र जो हमने पाया
हर लम्हा यहांँ पिघल रही मैं, जिसकी यादों में ढूंँढ रही मोहब्बत के निशां बीती मुलाकातों। हर लम्हा यहांँ पिघल रही मैं, जिसकी यादों में ढूंँढ रही मोहब्बत के निशां बीती ...
ताज़ा हैं अभी तक ये मेरे घाव जिगर पर, जख्मों पे नमक मिर्च लगाया न करो तुम। ताज़ा हैं अभी तक ये मेरे घाव जिगर पर, जख्मों पे नमक मिर्च लगाया न करो तुम।
कहीं दूर खोया रहता है कोई अनजान उसके ही ख्यालों में सुबह शाम कहीं दूर खोया रहता है कोई अनजान उसके ही ख्यालों में सुबह शाम
आबाद कर दोगे दिल के गुलशन, उसकी महक से तब एक पुराने पौधे को, तुम पतझड़ के नाम करोगे आबाद कर दोगे दिल के गुलशन, उसकी महक से तब एक पुराने पौधे को, तुम पतझड़ के नाम...
फूलों भरी डगर पे कभी साथ-साथ थे ज़ख़्मों पे जगह-जगह तूने शीशा चुभा दिया। फूलों भरी डगर पे कभी साथ-साथ थे ज़ख़्मों पे जगह-जगह तूने शीशा चुभा दिया।
प्यार पर बस तो नहीं किसी का लेकिन फिर भी ख़ुद तबस्सुम से वो अपने जगा कुछ भी नहीं। प्यार पर बस तो नहीं किसी का लेकिन फिर भी ख़ुद तबस्सुम से वो अपने जगा कुछ भी नह...
मुद्दतों से घर किए बैठे हैं वो मेरे दिल में l मुमकिन अब कहां के दिल उनको भूल जाए l मुद्दतों से घर किए बैठे हैं वो मेरे दिल में l मुमकिन अब कहां के दिल उनको भूल ...
ख्वाहिश है तुम्हारी जिंदगी में अपनी एक अलग जगह बनाने की, ख्वाहिश है तुम्हारी जिंदगी में अपनी एक अलग जगह बनाने की,
तुम्हारी यादोँ का कुछ सामान है........ मेरे पास......। तुम्हारी यादोँ का कुछ सामान है........ मेरे पास......।
जब भी ये मन उदास होता है यादों का साया आसपास होता है। जब भी ये मन उदास होता है यादों का साया आसपास होता है।
गुलशन में बहार खिलकर आई ऐसे गुलमोहर की सिंदूरी छाँव बिछी जैसे गुलशन में बहार खिलकर आई ऐसे गुलमोहर की सिंदूरी छाँव बिछी जैसे
यह आसमान से जमीन पर उतर रहा एक प्यार का सागर है यह प्रेम का आगमन है यह आसमान से जमीन पर उतर रहा एक प्यार का सागर है यह प्रेम का आगमन है
कभी मगरूर हो हम कहते, तुम्हारी हर अदा अपनी, कभी मगरूर हो हम कहते, तुम्हारी हर अदा अपनी,
पेड़ो के नीचे मखमली दूब पर चलते रहे अँधेरों में आया सुनहरा सा ये बादल कौन है। पेड़ो के नीचे मखमली दूब पर चलते रहे अँधेरों में आया सुनहरा सा ये बादल कौन है।
जैसे एक प्रभात मिल गया मेरी पतझड़ सी जिंदगी में जैसे वो बसंत की बहार था जैसे एक प्रभात मिल गया मेरी पतझड़ सी जिंदगी में जैसे वो बसंत की बहार था
हास- विलास प्रवीण रति क्रीड़ा व्याकुल उन्मादी रमणी सी! हास- विलास प्रवीण रति क्रीड़ा व्याकुल उन्मादी रमणी सी!