उलझन
उलझन
जितना तुम्हे समझने की कोशिश करती हूँ
उतना ही उलझती जाती हूँ
और अंत में थक हार कर फिर से
वही सवाल कि ''क्या हो तुम?"
जितना तुम्हे समझने की कोशिश करती हूँ
उतना ही उलझती जाती हूँ
और अंत में थक हार कर फिर से
वही सवाल कि ''क्या हो तुम?"