उलझन
उलझन
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कभी रुकी हुई सी .,..
कभी थमी हुई सी....
कभी सागर सी...कभी गागर सी...
किसी सावन के जैसे बादल सी ,,,,
मुझको तो अच्छी लगती है,,,
ये भीनी भीनी उलझन सी,.,,
कभी रूकती सी इस धड़कन सी...
कभी पागल कोई तनमन सी....
मुझको तो अच्छी लगती है...
ये भीनी भीनी उलझन सी.,..
कभी कलियाँ जैसे कोमल सी...
कभी दुनिया जैसे यौवन सी....
कभी अनसुलझी सी सुलझन सी ,,,
मुझको तो प्यारी लगती है,,,
ये भीनी भीनी उलझन सी....