उड़ान दे बेटियों को
उड़ान दे बेटियों को
चलो मिटा दे आज ये
भेद नर और नारी का,
होने दे विकास आज,
नन्ही मुन्नी परियों का,
क्या किसी से कम है,
ये प्यारी प्यारी सी बेटियां,
पा सकती हैं ये भी ,
आकाश सी बुलंदिया,
बुनने दे कुछ ख्वाब उन्हें भी,
प्यारी सी उड़ान के,
करने दे साकार अब सपने,
सुखद भविष्य निर्माण के,
कही किसी से कम नही है,
प्यारी प्यारी बेटियां,
जकड़ी कुप्रथायो में हमने ही,
उनकी प्यारी किलकारियां,
कोई भेद न आने दे फिर,
उनके लालन पालन में,
संस्कार आज तो देने हैं,
बेटो के ही पालन में,
हर बेटा जब सम्मान,
हर नारी को दे पाएगा,
तभी तो ये भव्य जीवन
सभ्य ही बन पाएगा,
कुसंस्कारों की जड़े,
अब मिल हमे मिटानी हैं,
बेटी नही बेटो को भी,
सुसंस्कारिता सिखानी हैं,
बदलनी हैं जो समाज की सूरत,
विचारो की मूरत बदलनी होगी,
हाँ, अब मूल से ही
समस्या हल करनी होगी,
सुरक्षित चाहिए जो हर एक नारी,
शिष्टता बालको को सिखाना होगा,
हम सब को मिल पुनः,
गौरव अपना पाना होगा,
चलो ले फिर हाथ मे हाथ,
नींव में काम करते है,
सब मिल आज दशा,
देश की बदलते हैं,
कार्यक्षेत्र केवल देश नही,
सम्पूर्ण विश्व वसुधा हो,
प्रेम से ही अभिसिंचित
यहाँ हर एक बन्दा हो।।
