STORYMIRROR

Kabita kumari Singh

Tragedy

4  

Kabita kumari Singh

Tragedy

उदासी में लिटपी है रात

उदासी में लिटपी है रात

1 min
290

रात उदासी में लिपटी है

चारों तरफ है छाया अंधेरा

सन्नाटा है हर तरफ़

सुनसान पड़ी है सड़क

कोई नहीं है राही

कोई नहीं रात का सखा

बस अंधेरे में है लिपटा 

उदास पड़ा रात है

है छाई हर तरफ़ मायूसी

तारे भी लगते से रहे गायब

चांद ने भी छुपा ली अपनी रोशनी

लग रही काली आमोश्या की रात

कोई हलचल नहीं ना ही शोर है

लग रहा कही कोई बिखरा टूटा

पिरवार पड़ा है उदासी में

शायद इसलिए

उदासी में लिपटी रात है.



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy