उदासी में लिटपी है रात
उदासी में लिटपी है रात
रात उदासी में लिपटी है
चारों तरफ है छाया अंधेरा
सन्नाटा है हर तरफ़
सुनसान पड़ी है सड़क
कोई नहीं है राही
कोई नहीं रात का सखा
बस अंधेरे में है लिपटा
उदास पड़ा रात है
है छाई हर तरफ़ मायूसी
तारे भी लगते से रहे गायब
चांद ने भी छुपा ली अपनी रोशनी
लग रही काली आमोश्या की रात
कोई हलचल नहीं ना ही शोर है
लग रहा कही कोई बिखरा टूटा
पिरवार पड़ा है उदासी में
शायद इसलिए
उदासी में लिपटी रात है.
