उभर आए हैं हम
उभर आए हैं हम
मशरूफ हैं हम अपनी दुनिया में
आपकी दुनिया में हमें मशहूर नहीं होना
उभर आए हैं हम उस गहरे जख्म से
मरहम उस जख्म पर फिर से नहीं मलना
एक नव जीवन का ख्वाब फिर देखा है
इस ख्वाब से भी हमें फिर नहीं जगना
उन यादों को भी गहरे समंदर मे बहा चुके हैं
उस समंदर में अब हमें फिर से नहीं उतरना
तुम्हारे लिए भी दुआओं का तोहफा बांधा था
वह तोह्फा भूल कर भी अब नहीं खोलना।

