तूफ़ान
तूफ़ान
जिस तरह समुंदर में तूफ़ान आने पर
नुकसान होने का ख़तरा बढ़ जाता है
इसी तरह मनुष्य मन में भी
जब विचारों के आक्रोश का तूफ़ान
क्रोध, हिंसा या अन्य किसी
रूप में उभरता है तो विनाशकारी
होता है
जिससे आसपास का माहौल
बिगड़ता है
और स्वयं के लिए भी
कष्टकारी और तबाही
का कारण बनता है ।
अतः कम से कम मनुष्य को तो
चाहिए की वो अपने अंदर क्रोध
के आक्रोश रूपी तूफ़ान को
पनपने ही ना दे
और स्वयं को और अन्य किसी
को भी
आक्रोश के तूफ़ान से होने वाली
तबाही से बचा कर रखे ।
