तूने तवायफ़ बनाना चाहा था!!
तूने तवायफ़ बनाना चाहा था!!
डूबी हुई थी कुछ इस कदर तेरी मोहब्बत मेरी आखों में,
सारे दर्द परेशानी सबका उपाय था तेरी प्यारी बातों में !
मेरी आंखों में पाक मोहब्बत जो मै सिर्फ तुमसे करती थी,
तू कहीं दुर ना चला जाए हर वक्त इस बात से डरती थी !
आख़िर तूने अपना असली रंग दिखा ही दिया था,
रुहानी मोहब्बत को जिस्मानी समझ ही लिया था !
बार बार तूने मेरी सच्ची मोहब्बत को बाजारू बनाना चाहा था,
मैं तेरी हमसफ़र बनाना चाहती थी तूने तवायफ़ बनाना चाहा था !