तू
तू
कोमल है तू
नाज़ुक है तू
माँ की आँखों का
तारा है तू।
दूँ उँगली मेरी तुझे
चलना सीखे तू
मैं साया तेरा
ज़िम्मेदारी मेरी तू।
कंधों पर बिठाया
जिगर का टुकड़ा है तू
ममता का आँचल मलमल
आनंद लेता है तू।
मेरी सख़्त बातों से
चोट खाता है तू
भलाई में छुपी अच्छाई
नहीं देख पाता है तू।