तू याद भी आई तो
तू याद भी आई तो
यूँ तेरा मजाक मजाक में,
सचमूच के थप्पड़ मारना
यूँ हीं मजाक मजाक में,
सचमूच के कलम चुभोना।
बेशक़ दर्द होता था
पर अच्छा लगता था
निशान कुछ आज भी हैं,
तो कुछ मिट गए।
किस्से कुछ याद भी हैं,
तो कुछ भूल गए
सच में कुछ लम्हें हसीन थे,
तो कुछ ग़मगीन
कुछ बुरे हादसे हुए,
तो कुछ बेहतरीन
मुझे आज भी याद हैं वो दिन,
जिन्हें गुज़ारना था नामुमकिन
पर शायद तू थी,
जो इन्हें कर गयी मुमकिन
क्या महत्व था तेरा,
तुझे बता ना सका।
कुछ सच्चाइयां जो अन्दर दफ़न थी,
तुझे दिखा न सका
अब अक्सर तन्हाइयों में
आती है तेरी याद,
पर शायद यह मेरी बदनसीबी है
जो तू याद भी आई तो तेरे जाने के बाद
मांगता हूँ रब से, अब बस यही
खुश रहो सदा, चाहे रहो, जहाँ कहीं।
