तू न हो फिर भी तू होता है
तू न हो फिर भी तू होता है
दूरियाँ प्यार बनाती है या तोड़ती है?
दूरियां करीब आना सिखाती हैं या अकेले रहना सिखाती हैं?
आज दोनों के मन में हजारों सवाल हैं, दूरी ही असली वजह है।
तुमसे मिलने के लिए सूरज कभी नहीं उगता,
चाँद भी नज़र नहीं आता।
तुम्हारी धड़कन मुझे बेचैन कर देती है ।
तुम भावनाओं में जी रहे एक हजार लय से बंधे हो ।
कभी तन्हा शायर तो कभी महबूब हो तुम।
नहीं, तुम आज मेरे साथ नहीं हो, बारिश की बूँदें मेरे चेहरे पर गिरती हैं,
तुम्हारे आने की प्रतीक्षा में मेरा मैला आँगन सूख जाता है।
तुम करीब नहीं हो लेकिन अपनी गर्म सांसों को अपने शरीर की गर्मी
बढ़ाने दो ।
तुम मेरी बगल में नहीं हैं, लेकिन जैसे कि मेरे दिल के बहुत क़रीब हो,
गर्व की भावना के साथ।
तुम और मैं सूर्य और चंद्रमा की तरह अलग हैं,
एक ही आकाश में लेकिन बहुत दूर हैं।
हम चाँद और सूरज की तरह रहते हैं, एक दूसरे के बिना अर्थहीन।
तुम न होते हुए भी हर दुआ में शामिल हो।
तुम न हो तो भी हर आँसू में, हंसी की हर आवाज में तुम हो।
भले ही तुम नहीं हो , तुम हवा के उस झोंके में हो , जो तुम्हारे बालों को उड़ा देता है।
तुम न होकर भी हर फूल की महक में हो।
तुम नहीं हो फिर भी ऐसा लगता है जैसे तुम हो, शायद यही प्यार का एहसास है ।
तू न हो फिर भी तू होता है।