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monika kakodia

Abstract

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monika kakodia

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तू कौन है

तू कौन है

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तू कौन है

क्या नाम तेरा

तुझे क्या चाहिए

और किस से भला

क्यों वीरानों में फिरता है।


क्यों तन्हा इस अनजान सफर पर

यूँ ही भटका करता है

क्यों सुनसानो को चुनता है

इतना कुछ है पास तेरे

इतना सब है तेरा

किस बात की है फिर

खोज तुझे।


किस चीज को तलाशता है

हैं हाथ तो तेरे भरे हुए

फिर

दिल क्यों खाली लगता है

तू कौन है

क्या नाम तेरा।


तू उस बस्ती का रहने वाला

जहाँ हर पहर रोशन दिए

फिर बोल हुआ क्या

जो आँखें तेरी रात सी काली

क्यों किसी ठंडी रात के जैसा

खुदमे सिमटा बैठा है

तू कौन है

क्या नाम तेरा।


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