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Vandita Chaurasia

Romance

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Vandita Chaurasia

Romance

तुमसे पहले...

तुमसे पहले...

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बेजान सूखे पत्ते की तरह

उड़ रही हूँ मैं,

कभी ठंडी हवा संग तो,

कभी तपन के झोकें के साथ,


बड़ा इठलाती थी बसंती इश्क में,

क्या पता था एक दिन

पतझड़ भी आएगा जीवन में,


तुम तो जड़ पेड़ हो,

आज भी और कल भी, 

और मैं एक पत्ता,


बड़े हक से लिपटी थी तुमसे,

पर एक आँधी मुझ पर

हक जता गयी 'तुमसे पहले',


मैं उड़ रही हूँ तेरे इश्क की तलाश में

और तुम हो न सके मेरे,

कैसा था ये एक तरफा इश्क

कि हक जता गया कोई और 'तुमसे पहले'।


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