तुमसे मिलकर जाना
तुमसे मिलकर जाना
तुम्हारे आने से पहले, उलझी थी मैं,
ना जाने कितने किरदारों में,
यूं आहिस्ता आहिस्ता सुलझाया है तुमने मुझे,
एक बार फिर से खुद से मिलाया है मुझे,
रिश्ते का यूं कोई नाम नहीं हमारे,
बहुत करीब फिर भी पाया है तुम्हें,
ज़िन्दगी थी, पर जी अब रही हूं,
अहसास दिलाया है तुमने।
किसी भी बात का खौफ नहीं था,
बेजान जिस्म सा लगता था।
अब फिर से अहसास होना शुरू हुआ है।
लगता है फिर से अब ज़िन्दगी से
मेरा मिलना शुरू हुआ है।