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Aarti Sirsat

Abstract

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Aarti Sirsat

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"तुम्हें जीत कर भी मैं हार गई"

"तुम्हें जीत कर भी मैं हार गई"

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मोहब्बत कि सारी हदें

मैं पार कर गई,

तुम्हें जीत कर भी

मैं तो हार गई...


कोई मौसम नहीं था

बरसने का, 

फिर भी ये कम्बख्त 

आँख बरस गई...


तुमने ही तो सिखाया था 

बोलना वो तो तुम्हारी 

दूरियों से खामोश

रहना भी सीख गई...


तुझे कैसे समझाऊँ

तड़पती है वो रात दिन,

तेरे बगैर वो तो जीना

भी भूल गई...


मौहब्बत कि सारी हदें

मै पार कर गई,

तुम्हें जीत कर भी

मैं तो हार गई...।।

   

 


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