तुम्हें छू दिया
तुम्हें छू दिया
सर्द रात, बेख्याली मन
दारिचे पे जमी शिशिर
और एक मैली चिट्टी,
अपने शब्दों से शायद
गलती से तुम्हें छू दिया I
आज ना तुम्हारे शहर में
बादल हैं, ना धूप है दरमियान,
सुनसान एक सड़क और
कुहासे में टीमटीमाती
रोशनी है वहां
निशांत की चादर ओढ़े,
शायद फिर से
तेरी याद को छू दिया।
अपने शब्दों से शायद,
गलती से
आज फिर से तुम्हें छू दिया।
