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tm gan

Abstract

3  

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तस्वीर भाग - 2

तस्वीर भाग - 2

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तेरी तस्वीर पे ठहरके एक उम्र गुजार दी,

ना जाने कितनी रातें, उजाले की तलाश मे बिता दी

बेजान पलकों का क्या दोष,

तेरे इंतेहां ने झपकना भूला दी


हाथों की रेखाओं की किस्मत भी अजीब,

तेरे नाम की लकीर मैने खुद ही मिटा दी

तेरा कर्ज था इन सांसों पे,

कितने आँसू उधारी चुकाने में बहा दी


आज फुरसत से तुमने दो बात कही,

दो बातों ने एक दास्तां बदल दी

चन्द ल्महों का साथ, या एक अधुरी बात,

उससे दुआ में आज मैंने,


एक ज़िन्दगी और मांग ली

तेरी तस्वीर पे ठहरके एक उम्र और गुजार दी।


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